दोस्तों आज सुनो तुम भी एक बात
मुझ पर पड़ी है वक़्त की मार,
क्योंकि ये सहा मैंने खुद भी,
इससलिए आपको बताते हैं
बचपन की बात, पंडित जी बैढे है मेरे साथ,
मौसम भी है मस्त उनके हाथ में मेरा हस्त,
हस्त देखकर बोले,म मुह से कुछ मीदे बोल फैंके,
बोले तुम्हारे रहेगा हमेशा महफ़िलों में नाम,
सुनकर हो गया मैं बहुत हैरान,
सोचे पंडित जी कह रहे है तो शायद सच ही होगा,
पर हुआ कुछ यूँ दोस्तों की,
हम नाम वाली महफ़िलो के कभी सुरमा ना बन सके,
पर नाम वाली महफ़िलो के लोगो ने रखा हमारा नाम बदनाम
पहला काम शायद जिसने किया हमें बदनाम,
मैं लोगो से कहता था कुछ बढ़िया, सबको लगता बेकार की पुडिया,
लोग मुझसे जल्दी उकताते पर बेचारे जबरदस्ती मुस्काते,
एक और काम जिसने किया हमें बहुत बदनाम,
शायद लोगो को अपनी तारीफ है पसंद आती,
और झूदी तारीफ करनी हमको नहीं आती,
कुछ को मेरी आदत पसंद नहीं आती,
कुछ को सच्चाई बिल्ल्कुल नहीं भाति,
एक और बात जो आपको बतानी है,
मुझे नहीं मिली है अभी तक सफलता की पुडिया,
इससलिए डर लगता है लाने को जीवन में गुडिया,
और भी ऐसे बहुत है काम है जिसने किया मुझे बदनाम,
लेकिन तुम्हारे पास होंगे बहुत से काम,और हम तो ठहरे बदनाम,
कल तुम सब कुछ बन जाओगे, जीवन में बहुत सफलताक पाओगे,
कुछ हमारी ये कहानी याद रखोगे, कुछ भूल जाएंगे,
जो याद रखेंगे वो अपने बच्चो को हमारी कहानी सुनाएंगे,
हमारे साथ था एक इंसान पर जो था बदनाम,
करता हमशा ऐसा काम की था बहुत बदनाम,
कोशिश करेंगे हम की हो जाए अब इस दुनिया में बदनाम
शायद इसी तरह रह जाए इस दुनिया में अपना नाम........":)
Tuesday, August 23, 2011
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